युवा उद्यमियों ने बदल दी जिला की फिजा, अब विदेशों में लोग चखेंगे चतरा के शुद्ध देशी चावल का स्वाद

पांच अप्रैल को सांसद करेंगे उदघाटन, पूर्व मंत्री समेत आधा दर्जन विधायक और डीसी रहेंगे उपस्थित

चतरा : झारखंड राज्य के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार चतरा को जल्द ही एक बड़े निजी उद्योग की सौगात मिलने वाली है। जिससे न सिर्फ यहां के सैकड़ो हुनरमंद हाथों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा, बल्कि चतरा के शुद्ध देशी गांवों से निकलने वाले धान के चावल का स्वाद अब देश के साथ-साथ विदेश के लोग भी चख पाएंगे। चतरा के दो युवा उद्यमियों की हिम्मत और सकारात्मक सोच के बदौलत जिले को पहला राइस मिल का सौगात मिलने जा रहा है। इस उद्योग की स्थापना के साथ ही अपने खेतो में दिनरात मेहनत करने वाले जिले के तमाम किसानों को भी उनके मेहनत का उचित सम्मान मिलेगा। मेहनत करने वाले किसानों को धान विक्रय के झंझटों से छुटकारा मिलने के साथ-साथ उन्हें आर्थिक रूप से भी समृद्धि मिलेगी। वहीं सरकार को भी राजस्व का बड़ा फायदा होगा। पांच अप्रैल को चतरा सांसद कालीचरण सिंह मिल का विधिवत उद्घाटन करेंगे। इस उदघाटन कार्यक्रम में पूर्व मंत्री सत्यानंद भोक्ता समेत आधा दर्जन विधायक और डीसी रमेश घोलप समेत जिले के कारोबारी, अधिकारी और किसान उपस्थित रहेंगे।

प्रतिदिन दो सौ टन चावल उत्पादन की क्षमता: चतरा में राइस मिल का सफल ट्रायल पूरा हो चूका है। जिला आपूर्ति पदाधिकारी मनिंदर भगत की उपस्थिति में राइस मिल का ट्रायल हुआ। जिसके बाद चावल उत्पादन के लिए मिल पुरी तरह से तैयार है। इस ट्रायल के साथ ही चतरा जिले में किसानों के बहुप्रतीक्षित मांग रहे राइस मिल का सपना पूरा हो गया। शहर से सटे धमनियां के मिश्रौल में बड़े युनिट का राइस मिल स्थापित किया गया है। मिल में 12 टन प्रति घंटा चावल उत्पादन क्षमता की मशीन लगाई गई है। जहाँ दो शिफ्ट में प्रत्येक दिन 200 टन चावल उत्पादन करने की क्षमता है। इसके लिए सभी आवश्यक संसाधन व मानव बल तैयार कर लिये गए हैं। मिल संचालकों के अनुसार मिल में जापानी टेक्नोलॉजी का अब तक का सबसे अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित मशीनों और उपकरणों को लगाया गया है। जो देश के सभी राइस मिलों का सबसे अपडेट वर्जन है। संचालकों ने बताया कि इस मिल में तैयार किए गए शुद्ध देशी गांवो के धान के चावल का निर्यात देश के साथ-साथ आधा दर्जन से अधिक विदेशों में भी किया जाएगा। इस मिल में तकनीकी तौर पर प्रशिक्षित संचालकों के साथ-साथ करीब एक हजार मजदूर रोजगार से जुड़ेंगे।

  • NIHAL SAH

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