टैरिफ वॉर के कारण भारतीय उद्योग मंदी की चपेट में आएगा?

 

अमेरिका और चीन के बीच तेज हो रहे टैरिफ वॉर के कारण समूचा भारतीय उद्योग मंदी की चपेट में  आ सकता है | इसका मुख्य कारण ये है कि भारत में चीनी उत्पादों की डंपिंग का खतरा बढ़ने लगा है। ट्रम्प द्वारा थोपी गयी टैरिफ वॉर के कारण चीनी कंपनियों ने अमेरिका में होने वाले अपने निर्यात के नुकसान की भरपाई भारतीय बाजार से करने की रणनीति अपनाई है। इसके लिए चीन की कंपनियां भारत को निर्यात होने वाले अपने उत्पादों पर बड़ा डिस्काउंट ऑफर कर रही हैं।

चीन की कंपनियां अपने उत्पादों को भारतीय बाजार में अधिक से अधिक खपाने के लिए अलग-अलग सेक्टर्स में 7 से 15 प्रतिशत तक का डिस्काउंट ऑफर कर रही हैं। इस डिस्काउंट के कारण भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ती कीमत पर चीनी उत्पादन मिल सकेंगे, लेकिन इसकी वजह से भारतीय उद्योगों की हालत खराब हो सकती है। ऐसा होने पर चीनी कंपनियां अपने उत्पादों को भारतीय बाजारों में कम कीमत पर बेचने के लिए डंप कर सकती हैं, जिससे तुलनात्मक तौर पर महंगे भारतीय उत्पाद की बिक्री पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इस आशंका को देखते हुए इंडियन मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से एक्स्ट्रा डिस्काउंटेड चीनी उत्पादों पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की मांग की है, ताकि भारतीय उद्योग भी मार्केट कंपटीशन में अपना अस्तित्व बचा सकें।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी उत्पादों पर 145 प्रतिशत ड्यूटी लगाने का ऐलान किया है। इसके जवाब में चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कही है। दोनों देशों के बीच टैरिफ वॉर लगातार गहराता जा रहा है, जिससे दोनों ही देश के लिए एक दूसरे के साथ कारोबार करना कठिन हो गया है। ये स्थिति तब है जब दोनों ही देश उत्पादों की मांग और आपूर्ति के मामले में एक दूसरे पर काफी हद तक निर्भर हैं। चीन के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 30 प्रतिशत है। अब टैरिफ वॉर शुरू हो जाने के कारण बड़ी मात्रा में चीनी उत्पाद अमेरिका में नहीं बिक पाएंगे। इससे चीन की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। यही वजह है कि चीन अब अपने तैयार हो चुके उत्पादों को डिस्काउंटेड रेट पर भारतीय बाजार में बेचने की कोशिश में जुट गया है।

इंडियन मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अनुसार चीन की कंपनियों ने इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट मार्केट को टारगेट करते हुए जबरदस्त डिस्काउंट देने की बात कही है। चीन की कंपनियां स्मार्टफोन, फ्रिज, टीवी जैसे आइटम्स पर 7 से 15 प्रतिशत तक का डिस्काउंट ऑफर कर रही हैं। इसी तरह मेडिकल डिवाइस, टेक्सटाइल और रबर के उत्पादों में भी भारी छूट देने की बात कही जा रही है। इसके अलावा चीनी कंपनियां अन्य सेक्टर्स में भी अपने उत्पाद डंप करने की रणनीति में लगी हुई हैं। हालांकि केंद्र सरकार पहले से ही देश में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई सेक्टर्स में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम चला रही है। इसके बावजूद चीन की भारतीय बाजार में अपने उत्पादों को डंप करने की स्ट्रेटजी भारतीय उद्योगों पर भारी पड़ सकती है। यही वजह है कि भारतीय उद्योगों ने सरकार से सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की मांग की है।

कुल मिलाकर अगर यही स्थिति बनी रही तो न केवल देश छोटे और मध्यम उद्योग भारी मंदी की चपेट में आ जाएंगे बल्कि शेयर बाजार भी औंधे मुंह गिरेगा और नोट बंदी व जीएसटी के बाद एक और बड़ी मार भारतीय उद्योग जगत पर पड़ने वाली है| सरकार जरूर इस विषय में कुछ कदम उठा रही होगी लेकिन जरूरत त्वरित कार्यवाही की है फिर चाहे वो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में नई टैरिफ नीति को लागू करना हो या घरेलू उद्योगों को अधिकतम संरक्षण देना हो, जो भी करना है युद्ध स्तर पर करना होगा वरना नुकसान की भरपाई असंभव हो जाएगी|

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