बिहार राज्य के थर्मल पावर प्लांट में उत्पादित बिजली को ग्रिड तक लाने का काम खुद राज्य की बिजली संचरण कंपनी करेगी। पहले इस काम के लिए केंद्रीय एजेंसियों मसलन पावरग्रिड आदि की मदद लेनी पड़ती थी। इससे उत्पादित बिजली आम लोगों तक आते-आते महंगी हो जाया करती थी। खुद से बिजली लाने के कारण बिजली कंपनी को कम पैसे खर्च करने होंगे। कम लागत लगने के कारण आम लोगों को आने वाले वर्षों में सस्ती बिजली मिलेगी। कंपनी अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार बक्सर के चौसा में 660 मेगावाट की दो इकाई का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। इस साल के अंत तक कम से कम चौसा की एक यूनिट से 660 मेगावाट बिजली उत्पादित होने लगेगी। इसमें से बिहार को 561 मेगावाट बिजली मिलेगी। दो इकाई शुरू होने पर चौसा में 660 मेगावाट की एक और तीसरी इकाई का निर्माण होना हैं। उत्पादन शुरू होने के पहले ग्रिड तक बिजली पहुंचाने की प्रक्रिया करनी पड़ती है।
बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने पहल कर खुद ही चौसा बिजली घर से ग्रिड तक बिजली लाने का निर्णय लिया। इस दिशा में कार्रवाई भी जारी है। संचरण तार बिछाए जा रहे हैं। पहले इस काम को पावरग्रिड से कराया जाता रहा हैं। संचरण कंपनी की पहल से बिजली कंपनी को केवल उत्पादन लागत ही देना होगा। खुद से ग्रिड तक बिजली लाने पर संचरण कंपनी को कम पैसे खर्च करने होंगे। इस कारण चौसा से उत्पादित बिजली बिहार को कुछ कम पैसे में ही मिलेगी। इस तरह कंपनी आम लोगों को भी सस्ती बिजली देने में सक्षम होगी।
चौसा में किए गए प्रयोग को कंपनी ने भागलपुर के पीरपैंती में भी करने का निर्णय लिया है। पीरपैंती में 800 मेगावाट की तीन इकाई का निर्माण होगा। अभी इसका टेंडर जारी किया गया है। पांच वर्षों के भीतर पीरपैंती से बिजली उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य तय किया गया है।कंपनी ने तय किया है कि चौसा की तर्ज पर पीरपैंती बिजली घर से भी बिजली निकासी का काम बिहार की संचरण कंपनी ही करेगी। कंपनी में इसकी कवायद शुरू कर दी गई है। राज्य की सबसे बड़ी बिजली घर परियोजना से बिजली की निकासी कर ग्रिड तक लाने में कंपनी को जितनी भी राशि और आधारभूत संरचना की जरूरत है, उसके लिए विभागीय प्रक्रिया जारी है। जल्द ही बिहार विद्युत विनियामक आयोग से भी इसकी मंजूरी ली जाएगी।
- नेहा निगम