महाराष्ट्र में शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के बीच सुलह की अटकलें तेज हो गई हैं। हाल ही में राज ठाकरे ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि अगर उद्धव को एतराज नहीं है तो उन्हें अपने भाई के साथ देने में खुशी होगी। जवाब में उद्धव ने भी राज के साथ सुलह का स्वागत किया है। पिछले कुछ दिनों में अलग अलग बयानों में दोनों ने ही महाराष्ट्र की राजनीति में आई नैतिक गिरावट और पीठ पर छुरा घोंपने वाली प्रवृत्ति पर चिंता जताई है और सत्ता के लिए किसी भी हद तक गिरने की नेताओं की हालिया नीति को मराठी संस्कृति और अभिमान के लिए शर्मिंदगी बताया है।
राज और उद्धव ने संभावित सुलह की अटकलों को हवा दी है और ऐसे बयान दिए हैं जिनसे संकेत मिलता है कि वे ‘मामूली मुद्दों’ को नजरअंदाज करके महाराष्ट्र और मराठी ‘मानुष’ के हित में हाथ मिला सकते हैं। वर्तमान परिस्थितियों में उद्धव और राज ठाकरे, दोनों ही अपने राजनैतिक जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं लेकिन ये भी सत्य है कि ठाकरे परिवार का आज भी महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में एक अहम मुकाम है। ये सत्य उनके सभी विरोधियों को भी पता है कि अगर ये दोनों एक साथ आ गए तो मराठी मानुष वाली हवा तो दोबारा बहने से रोकना आसान नहीं होगा और साथ में ये दोनों दोबारा कमोवेश उस स्थिति में आ सकते हैं जब शिवसेना बिना ताज के भी समूचे महाराष्ट्र पर राज करती थी। उद्धव जहां एक ओर अपनी बौद्धिक क्षमता और उदार व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं वहीं राज को तेज तर्रार नेता और अपनी बेहतरीन संगठन क्षमता के लिए जाना जाता है। दोनों का साथ निश्चित रूप से उद्धव-राज की शिव सेना को सामाजिक तौर पर असली शिवसेना के रूप में स्थापित कर देगी जिसका सबसे अधिक नुकसान एकनाथ शिंदे को हो सकता है। ये भी संभव हो सकता है कि इन दोनों भाइयों के साथ आने पर शिंदे की शिवसेना में दरार पड़ जाए और उसके तमाम नेता राज और उद्धव के पास वापिस चले जाएँ। महाराष्ट्र की राजनीति में इसके दूरगामी परिणाम ये भी संभव है कि यदि एकनाथ शिंदे की शिवसेना में टूट हुई तो उधर अजित पवार भी शरद पवार के साथ हो जाएँ। दोनों भाइयों के बीच सुलह का एक पहलू ये भी है कि शिवसेना और भाजपा फिर एक साथ आ जाएँ हालांकि इसकी संभावना कम ही है।
उधर शिवसेना (उबाठा) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के एक साथ आने की संभावना पर भाजपा नेता नीतीश राणे ने कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने जोरदार जीत हासिल की है। उन्होंने कहा, “इसलिए हम उनके बीच किसी गठबंधन को लेकर चिंतित नहीं हैं।”
जो भी हो ये तो तय है कि अगर दोनों भाई साथ आते हैं तो महाराष्ट्र में राजनीतिक परिदृष्य का बदलना अवश्यंभावी हो जाएगा।
- Nishchaya