पिछले 2 महीनों में सोने के भाव में 25% से ज्यादा का उछाल आया है। इसके पीछे प्रमुख कारण जहां एक ओर रूस-यूक्रेन और इज़राइल-हमास के बीच लगातार चल रही युद्ध की स्थिति है वहीं इस पर अमेरिका द्वारा थोपे गए टैरिफ-वार ने सोने को नई उड़ान के पंख दे दिए हैं।
जैसे जैसे सोने के भाव बढ़ रहे हैं वैसे वैसे इसका खुदरा व्यापार नीचे गिर रहा है दरअसल विषमता ये है कि सोना अकेली ऐसी धातु है जिसके दाम का मांग से कोई ज्यादा लेन देना नहीं है। इसके इतर अन्य अंतर्राष्ट्रीय कारक ऐसे हैं जिनका सोने कि मांग या पूर्ति से कोई लेना देना नहीं है।
ऐसे में आम निवेशकों के मन में ये संशय है कि सोने में निवेश का ये समय सही है या नहीं? अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का ये मानना है कि सोने कि ये बेलगाम चढ़ाई अस्थाई है और जैसे ही टैरिफ वार का असर साफ होता जाएगा तथा रूस यूक्रेन व इज़राइल हमास युद्ध अपनी परिणिती की ओर बढ़ेगा (जिसकी शीघ्र परिणिती की संभावना है) तो सोना जितनी तेजी से बढ़ा है उतनी ही तेजी से गिरेगा। तब सोने का भाव बाजार की ताकतें और खुदरा बाजार की मांग तय करेंगी। आशंका जताई जा रही है कि अगले 5 से 6 महीनों में सोने का भाव करीब 30% तक नीचे जाएगा।
सोने में निवेश का ये सही समय नहीं है। बुलियन बाजार चाँदनी चौक के पारखी सितंबर तक इंतजार की सलाह दे रहे हैं। तब तक सोने का भाव 70 हजार के आस पास पहुँच जाएगा।
- Nishchaya